T-series ke Owner Gulshan Kumar: की Painful हत्या का असली सच

T-series ke Owner Gulshan Kumar
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Gulshan Kumar: की हत्या का असली सुच

12 अगस्त 1997 को मुंबई में एक ऐसा दिल दहला देने वाला हादसा हुआ कि न्यूज में यह खबर देखने के बाद एक बार के लिए तो बॉलीवुड वालों को विश्वास भी नहीं हो रहा था कि ऐसा कुछ हो भी सकता है। चलिए समझते T-series ke Owner Gulshan Kumar गुलशन कुमार की हत्या की पूरी कहानी टीसीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार रोज सुबह 10:00 बजे पूजा करने जाते थे।

रोज की तरह ही 12 अगस्त को गुलसन कुमार जी मधिर गए थे पूजा करने के लिए लेकिन दिक्कत वाली बात यह थी कि मंदिर के जस्ट साइड में जो धूप छाया अपार्टमेंट था, इस अपार्टमेंट के जस्ट सामने एक नाई की दुकान थी और उस दुकान पर ही अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम द्वारा भेजे गए तीन गैंगस्टर्स मौजूद थे।

खैर, 15 मिनट बाद सवा 10:00 बजे मंदिर से बाहर आकर गुलशन कुमार साइड वाले धूप अपार्टमेंट के बाहर पार्क अपनी गाड़ी की ओर बढ़ने लगे। वैसे ही तीनों गैंगस्टर में से एक शूटर ने गुलशन कुमार की कनपटी पर बंदूक रखी और बोला बहुत कर ली पूजा, अब मरने के बाद कर लेना। इसके बाद डॉन दाऊद इब्राहिम के शूटर्स ने वहां पर मौत का तांडव किया, अगले कुछ मिनटों में इन तीनों ने 16 गोलियां गुलशन कुमार में दाग दी और पूरी दुनिया को बस एक सवाल के साथ टूटा हुआ छोड़ दिया। सवाल बस इतना था कि आखिर गुलशन कुमार को डॉन दाऊद इब्राहिम ने क्यों मरवाया?

गुलसन कुमार की पूरी कहानी

आज गुलशन कुमार की पूरी कहानी तो समझेंगे ही, लेकिन उसके अलावा मेरी सबसे बड़ी कोशिश यह रहेगी कि आपको ऐसा फील होगा कि T-series ke Owner Gulshan Kumar के साथ हुए सभी इंसिडेंट के दौरान आप वहां पर खुद मौजूद थे, लेकिन हर बार की तरह शुरू से शुरू करते हैं। बात फिफ्टी वन की है। दिल्ली की एक पंजाबी फैमिली में टीसीरीज के मालिक गुलशन कुमार का जन्म हुआ था।

बहुत छोटी उम्र में ही गुलशन कुमार अपने पापा की जूस शॉप पर काम करके उनका हाथ बंटाने लगे थे। गुलशन कुमार कोई बहुत अमीर परिवार में पैदा नहीं हुए थे। उन्हें पता था कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाकर जल्दी से जल्दी अपने परिवार को सपोर्ट करना है। इसलिए T-series ke Owner Gulshan Kumar ने सिर्फ 23 साल की उम्र में ही एक कैसेट शॉप खोली, जिसमें वह दूसरी कंपनियों के गाने बेचते थे।

फिर उन्होंने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज नाम से एक म्यूजिक कंपनी बनाई, जिसमें वह खुद के गाने बेचते थे और आप विश्वास नहीं करोगे कि इस मेहनती बंदे ने उस बिजनेस को इस लेवल पर एक्सपेंड कर दिया कि वह बिल्डिंग पूरे नोएडा की सबसे पहली कॉमर्शियल बिल्डिंग बनी। एक बात तो आपको बताने की जरूरत भी नहीं है

कि T-series ke Owner Gulshan Kumar भगवान शिव और मां अंबे के अल्टीमेट भक्त थे। इनफैक्ट टी थ्री में जब गुलशन कुमार ने कंपनी को टी सीरीज नाम दिया था तो टी सीरीज में टी का मतलब भी त्रिशूल ही था। इससे पहले कि हम T-series ke Owner Gulshan Kumar के हत्या वाले दिन की बात करें, एक बात आपको अच्छे से पता होनी चाहिए कि गुलशन कुमार बहुत ही गोल्डन नेचर के व्यक्ति थे। वह हमेशा नए लोगों को मौका देते थे

जैसे अनुराधा पौडवाल, सोनू निगम, कुमार सानू और म्यूजिक डायरेक्टर नदीम श्रवण। यह नदीम श्रवण का जो डुओ है इसमें यह जो नदीम सैफी है इसको दिमाग में रिकॉर्ड कर लो। रिपोर्टर द्वारा ऐसा बोला जाता है कि इसने ही गुलशन कुमार को मरवाया था। आगे देखेंगे कैसे गुलशन कुमार अपने कल्चर को काफी फॉलो करते थे और अलग अलग मंदिरों में डोनेशन भी किया करते थे। यहां तक कि उन्होंने वैष्णो देवी मंदिर में भंडारा भी स्टार्ट करवाया था, जो आज भी उन्हीं के नाम से होता है। T-series ke Owner Gulshan Kumar इतने सॉफ्ट हार्टेड थे.

कि पिंजरे में बंद बर्ड्स को खरीदकर उड़ा देते थे। रास्ते में कोई जानवर मर जाता था तो उसकी बॉडी को खुद दफनाते थे। यह बात इतनी आसानी से हजम नहीं होती ना कि जिस बंदे ने पूरी जिंदगी दूसरों का भला किया, गैंगस्टर्स ने मिलकर उसी को मार दिया। अगले दो पेराग्राप इस आर्टिकल के बहुत ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं।

बस ध्यान से एक बार समझ लो की T-series ke Owner Gulshan Kumarकी हत्या का रिलीज हुई आशिकी मूवी से क्या कनेक्शन है टीसीरीज ने फिल्म आशिकी के गाने कंपोज करने का मौका दिया। एक उभरती हुई जोड़ी को। ज्योति नदीम श्रवण की इस मूवी के गानों की मिलियन कॉपीज बिकी और इस सफलता की वजह से टीसीरीज के सारे गानों में ऑलमोस्ट नदीम श्रवण का ही म्यूजिक चलता था।

बहुत बढ़िया। म्यूजिक डायरेक्टर बनने के बाद नदीम ने गाना गाने की भी सोची। नदीम म्यूजिक डायरेक्टर तो अच्छे थे पर गाने के मामले में उनका हाथ थोड़ा तंग था। इनफैक्ट गुलशन कुमार ने नदीम को सलाह भी दी कि तुम गाना मत गाओ । पर वो माने नहीं। दोस्ती की वजह से T-series ke Owner Gulshan Kumar नदीम के कुछ गाने जैसे हाई अजनबी प्रमोट करने के लिए रेडी हो गए।

जैसा कि गुलशन कुमार को लगा था। इन गानों पर कोई खास रिस्पॉन्स नहीं आया और एल्बम पिट गई। जब कंपनी को काफी बड़ा लॉस होने लगा तो T-series ke Owner Gulshan Kumar ने नदीम के गानों को प्रमोट करना एकदम बंद कर दिया। मोरो वर्ल्ड टी सीरीज मिडनाइट आते आते इतना बड़ा ब्रैंड बन चुका था कि इंडिया में रिलीज होने वाले टोटल गानों में से सिक्सटी परसेंट सॉन्ग्स के राइट्स टी सीरीज के पास ही थे।

अगर टी सीरीज उस समय किसी के एलबम के राइट्स नहीं खरीदता था तो उसके चलने के चांसेज ना के बराबर हो जाते थे। नदीम को यह बात खटक गई कि न तो गुलशन कुमार उसे काम दे रहे थे और ना ही उसके गाने प्रमोट कर रहे थे। इसी बात का बदला लेने के लिए उसने गुलशन कुमार को जान से मरवाने की सोची और दिल दहला देने वाली बात ये है कि T-series ke Owner Gulshan Kumar को मरवाने के लिए नदीम ने सुपारी भी दी तो किस को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को आपलोग ध्यान से पड़ना इस बात को। दाऊद इब्राहिम है दुनिया का सबसे मशहूर अंडरवर्ल्ड डॉन।

इसी धंधे में इसका भरपूर साथ देने वाला इसका भाई है अनीस इब्राहिम। उसके अलावा यह दाउद इब्राहिम का राइट हैंड और बॉलीवुड का डॉन है। ये अबू सलेम मई 1997 में दुबई के एक होटेल में गुलशन कुमार को मारने के लिए एक मीटिंग होती है। इस मीटिंग में म्यूजिक डायरेक्टर नदीम दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई अनीस इब्राहिम और दाऊद के राइट हैंड अबू सलेम गुलशनकुमार के मौत की तारीख लिख रहे थे। नदीम ने बताया कि कैसे T-series ke Owner Gulshan Kumarने उसका जीना मुश्किल कर रखा है और वह दोनों उसकी हेल्प करें।

अबू सलेम ने 25 लाख टोकन मनी लेकर गुलशन कुमार का पत्ता साफ करने की बात कही। अबू सलेम को ये फायदे का सौदा लगा क्योंकि वह म्यूजिक इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार को मारकर अंडरवर्ल्ड में और ज्यादा मशहूर होना चाहता था। अबू सलेम गुलशन कुमार की लाइफ के लास्ट चैप्टर की प्लानिंग एकदम फुल प्रूफ करना चाहता था।

T-series ke Owner Gulshan Kumar को मरने की प्लानिंग

इसके लिए उसने T-series ke Owner Gulshan Kumar के हर दिन के हर मिनट की इन्फॉर्मेशन निकलवाई। गुलशन कुमार कब खाना खाता है, कब जागता है और यहां तक कि कब टॉयलेट जाता है। ध्यान रहे कि यह सब मैं अपनी मर्जी से नहीं बोल रहा। ये सारी बातें एक बुक में लिखी हुई हैं। जिस बुक का नाम है माय नेम इज अबू सलेम। यह बुक उस समय के बहुत ही फेमस इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट एस हुसैन जैदी ने लिखी थी। खैर, अबू सलेम एक साइकोपैथ की तरह गुलशन कुमार को 5 अगस्त 1997 को पहली बार कॉल करता है।

उस कॉल में वह 10 खोका यानी कि 100000000 की फिरौती मांगता है। साथ ही यह भी पूछता है कि वह नदीम के गाने प्रमोट क्यों नहीं कर रहा है। जनरली ऐसे ब्लैकमेल कॉल्स को लोग पुलिस को रिपोर्ट करते हैं। लेकिन बहुत अजीब बात है कि यह बात गुलशन कुमार के भाई किशन कुमार ने उन्हें बहुत समझाई कि भाई पुलिस को बता दें।

फिर भी गुलशन कुमार ने 100000000 की फिरौती वाली बात पुलिस को नहीं बताई। 9 अगस्त को फिर से अबू सलेम का कॉल आया और फिर से फिरौती मांगने पर गुलशन कुमार ने कहा, तुम्हें पैसे देने से अच्छा है कि मैं वैष्णों देवी के मंदिर में भंडारा करवा दूंगा। क्योंकि T-series ke Owner Gulshan Kumar इतने बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन से डर नहीं रहे थे।

 

इसलिए अबू सलेम का ईगो हर्ट हो गया और यह बहुत बड़ी दिक्कत वाली बात बनी। गुलशन कुमार के पूरे शेड्यूल को सही से एनालाइज करने के बाद अबू सलेम ने वह मौका ढूंढ ही लिया जब वह अपने काम को अंजाम दे सकता था। और उस मौके के बारे में हम बात करें उससे पहले कुछ इम्पोर्टेन्ट लोकेशंस को भी अच्छे से समझ लो। गुलशन कुमार का घर जोकि मुंबई के लोखंडवाला कॉम्पलेक्स में है। यहां से चार किलोमीटर दूर अंधेरी वेस्ट के जीतनगर में है जीतेश और महादेव मंदिर। जहां गुलशन कुमार रोज पूजा करने जाते थे

और मंदिर से लगभग पाँच किलोमीटर दूर है कूपर हॉस्पिटल। जहां गोलियां लगने के बाद गुलशन कुमार को ले जाया गया। अब अपने लोकेशन को सही से समझ लिया है तो इस केस को समझने में और भी मजा आएगा। जिस मौके की हम बात कर रहे थे, वह मौका था गुलशन कुमार का।

कामपर जाने से पहले अंधेरी के जीतेश महादेव मंदिर में पूजा करने जाना। मंदिर की लोकेशन और माहौल। अबू सलेम के शूटर्स को हत्या करने के बाद भाग जाने के लिए आसान लग रहा था। आप लोगों के सामने डेट्स को लेकर क्लैरिटी भी मैं अभी से ही रखना चाहता हूं। T-series ke Owner Gulshan Kumar के पास पहली धमकी का कॉल 5 अगस्त 1997 को आया था। दूसरी धमकी का कॉल 9 अगस्त 1997 को आया था और फाइनल अटैक यानी 12 अगस्त 1997 को हुआ था। खैर, फाइनली आज 12 अगस्त 1997 को दिन है मंगलवार का और किसी आम दिन की तरह ही गुलशन कुमार अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे।

 

उन्होंने वाइट कुर्ता और वाइट चप्पल पहनी है। घर से मंदिर जाने के लिए T-series ke Owner Gulshan Kumar अपनी मरून कलर की मारुति एस्टीम में अपने ड्राइवर रूपलाल सरोज के साथ निकलते हैं। उनकी गाड़ी सुबह 10:00 बजे जीतेश महादेव मंदिर के बाहर आकर रुकती है। हमेशा की तरह उनका ड्राइवर कार को मंदिर से छह फीट दूर धूप छाया अपार्टमेंट के बाहर पार्क करता है और T-series ke Owner Gulshan Kumar गाड़ी से उतरकर मंदिर में जाने लगते हैं। जैसे ही 15 मिनट बाद गुलशन कुमार मंदिर से बाहर आते हैं

तो उनका ड्राइवर रूपलाल उनसे रोज की तरह ही पूजा की थाली ले लेता है। इससे पहले कि T-series ke Owner Gulshan Kumar पर हमला हो, आप अच्छे से समझ लो कि गुलशन कुमार इस मंदिर में गए थे। इसके जस्ट साइड में धूप छाया अपार्टमेंट है। उसके जस्ट सामने गाड़ी खड़ी हुई थी। उसके बाद रोड को क्रॉस करके अपार्टमेंट के सामने। नाई की दुकान थी,

T-series ke Owner Gulshan Kumar की हत्या का समय

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जिसमें तीनों शूटर्स बैठकर T-series ke Owner Gulshan Kumar के मंदिर से बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। यह तीनों ही अबू सलेम के बंदे थे, जिनको T-series ke Owner Gulshan Kumar को मारने का काम सौंपा गया था। जैसे ही गुलशन कुमार अपनी कार के पास पहुंचे, उनके पीछे से अब्दुल रौफ ने उनकी कनपट्टी पर गन तानी और बोला बहुत कर ली पूजा, अब मरने के बाद करना। जितनी देर में T-series ke Owner Gulshan Kumar कुछ समझ पाते एक गोली चली और उनके सिर को छूती हुई निकल गई।

घबराहट में गुलशन कुमार पास ही के एक पब्लिक टॉयलेट में छुपने के लिए भागते हैं, पर उनका पैर वहीं स्लिप हो जाता है। पैर स्लिप होते ही अब्दुल रॉफ उन पर तीन गोलियां और चला देता है, जो उनकी पीठ में लगती हैं। तीन गोलियां लगने के बाद और बुरी तरह घायल होने के बाद भी गुलशन कुमार अपने आपको घसीटते हुए आगे बढ़ने लगते हैं। लेकिन अब्दुल रऊफ भी उनके पीछे पीछे अपने शिकार को फॉलो करते हुए चल रहा है। T-series ke Owner Gulshan Kumarदीवार का सपोर्ट लेकर उठने का ट्राई करते हैं, पर वहीं गिर जाते हैं।

ड्राइवर रूपलाल गुलशन कुमार की मदद करने के लिए आगे आता है और कलश उठाकर अब्दुल रौफ पर फेंकता है। अब्दुल रऊफ रूपलाल के दोनों पैरों में गोली मार देता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है तीन गोलियां लगने के बाद भी गुलशन कुमार पास के घरों में हाथ जोड़कर मदद मांगते हैं, पर लोग उन्हें देखकर अपने गेट बंद कर देते हैं। एक मूवी के सीन की तरह जहां T-series ke Owner Gulshan Kumar पर अब्दुल रऊफ, अब्दुल राशिद और अनिल शर्मा ने 12 गोलियां और चलाई, वहां ऊपर देवी मां की फोटो लगी हुई थी।

जिस मंदिर को गुलशन कुमार ने खुद रेनोवेट करवाया था, आज उसी के पास उनका अंत इस भयंकर तरह से हो रहा था। यह बात सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे कि जब तक यह मर्डर सीन चल रहा था, तब तक अबू सलेम फोन पर गुलशन कुमार की चीखें सुन रहा था। अब्दुल रौफ ने पास ही खड़ी टैक्सी में से ड्राइवर को बालों से खींचते हुए निकाला। वह लोग खुद उस टैक्सी में बैठे और तीनों शूटर्स वहां से वर्सोवा लिंक रोड की तरफ भाग गए।

इतने सब हत्याकांड के बाद दो लोग मदद करने के लिए सामने आए। मंदिर का पुजारी रामचंद्र लवाण गिरे और राजेश जौहरी, T-series ke Owner Gulshan Kumar और ड्राइवर को उन्हीं की कार में लिटाकर कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर्स ने बहुत कोशिश की पर गोलियां बॉडी के इम्पोर्टेन्ट पार्ट्स पर लगी थीं और लाख कोशिशों के बाद भी गुलशन कुमार को बचाया नहीं जा सका। अगले दिन ही गुलशन कुमार की बॉडी को लास्ट राइट्स के लिए दिल्ली ले जाया गया। T-series ke Owner Gulshan Kumar की मौत से पूरा बॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरा देश ही शॉक में था।

 

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